Monday, 18 June 2018

रूद्रनाथ, Rudranath Trek

रूद्रनाथ एक एेसी जगह है जहाँ पहुँच कर एेसा लगता है कि मानो स्वर्ग में पहुँच गए हों....
   रूद्रनाथ मंदिर तृतीया केदार में आता है 18 किमीं की चढाई करने के बाद चारो ओर बर्फ की चोटिया और बुग्याल रूद्रनाथ की सुंदरता में चार-चाँद लगा देते है| यहाँ इतनी शाँति है कि अगर कोई शहर का व्यक्ति यहाँ जाए तो वह यहाँ रहना ज्यादा पसंद करेगा|

रूद्रनाथ की यात्रा शुरू गोपेश्वर से 4 किमीं की दूरी पर सगर गाँव से शुरू होती है| यात्री गोपेश्वर से या तो पैदल सगर तक जाते है और या तो सगर तक वाहन से आते है सगर गाँव से चढाई शुरू होती है| जंगलो से गुजरते हुए 6 किमीं पर पहला बुग्याल आता है जिसका नाम है पुंग बुग्याल 

यात्रीयों के लिए रहने की व्यवस्था चाय तथा जलपान के लिए पुंग में व्यवस्था है पुंग के बाद फिर से जंगल के रास्ते चढा़ई करते करते पनार बुग्याल पहुँचना होता है पनार बुग्याल रूद्रनाथ की यात्रा में बीच का अहम पडाव माना जाता है क्योंकि सगर से पनार और पनार से रूद्रनाथ बराबर माना जाता है पर पनार तक पहुँचना बहुत आसान नही है क्योकि पुंग के बाद खडी़ चढाई है चलने में पैरो में दर्द शुरू हो जाता है यहाँ मौसम का भी कोई पता नहीं अगर अभी धूप है तो यह संभव नहीं है कि पूरे दिन भर धूप ही रहेगी कब बारिश हो जाए पता नहीं घने घने जंगलो के मध्य से चलना एक अलग ही शाँति का अहसास देता है बीच बीच में चाय की दुकाने भी मिल जाती है रहने की व्यवस्था हो जाती है पुंग से पनार पहुँते पहुँते यात्री को लगभग एक या दो पहाड़ चढ़ने होते है उन खडी़ चढा़ई को पार करके आता है पनार बुग्याल| 

सबसे कठिन यात्रा रूद्रनाथ की मानी जाती है... पनार बुग्याल बहुत बडा है यहाँ पर भी एक छोटा सा होटल यात्रीयों के लिए है कुछ यात्री पनार में ही रूक जाते है क्योकिं पनार के बाद पित्रधार तक ज्यादा चढ़ाई है इसलिए कुछ यात्री एक रात पनार में गुजारते है पर कुछ रूद्रनाथ की ओर प्रस्थान करते है पनार के बाद बस चारो और या तो बुग्याल दिखते है और या तो बर्फ की चोटिया| पनार से आगे बुग्याल बहुत सुंदर दिखाई देते है, रूद्रनाथ में सफेद बुराँस के फूल भी होते है पनार से आगे पित्रधार पनार से अधिक ऊँचाई पर है वहाँ से सारी बर्फ की चोटिया दिखाई देती है जो कि एक आकर्षण का काम करता है| 

पित्रधार एक बहुत सुंदर पडा़व है सुंदरता से भरपूर एक मनमोहक जगह है यहाँ आकर सारी थकान थोडी थोडी कम लगती है तेज हवाओ के साथ यहाँ थोडी़ ठंड बढ़ जाती है ज्यादा ऊँचाई पर होने से यहाँ बारिश भी होने लगती है| 
पित्रधार से आगे चढा़ई नहीं है सीधा रास्ता है पित्रधारा से आगे है पंचगंगा यहाँ भी ठहरने के लिए व्यवस्था है यहाँ से आगे रास्ता सीधा सीधा है और रास्ते के ऊपर की तरफ तथा नीचे की तरफ सफेद बुराँस के फूल सारा आकर्षण का काम करता है चारो और सुंदरता देखकर अभी मैं इसका वर्णन नहीं कर सकता| पंचगंगा से आगेे आता है देव दर्शनी,  देव दर्शनी से रूद्रनाथ मंदिर दिखने लग जाता है यहाँ से मंदिर की पहली झलक यात्रीयों को दिखने लग जाती है 


यहाँ पहुँचने पर यात्री अपने सारे कष्ट भूलने लगता है यहाँ रहने के लिए होटल तथा धर्मशाला है मंदिर के पास पुजारी निवास भी है| यहाँ मंदिर में भगवान शिव के मुख की पूजा की जाती है सुबह 8 बजे से भगवान जी का श्रंगार होता है उसके बाद आरती तथा हवन फिर भोग चड़ता है फिर श्याम को आरती होती है| 






 


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रूद्रनाथ, Rudranath Trek

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