रूद्रनाथ मंदिर तृतीया केदार में आता है 18 किमीं की चढाई करने के बाद चारो ओर बर्फ की चोटिया और बुग्याल रूद्रनाथ की सुंदरता में चार-चाँद लगा देते है| यहाँ इतनी शाँति है कि अगर कोई शहर का व्यक्ति यहाँ जाए तो वह यहाँ रहना ज्यादा पसंद करेगा|

भारत एक ऐसा देश बन गया है जो कि बहूत तेजी से अपना विकास कर रहा है, भारत के राज्यों में भी बहुत तेजी से विकास कार्य हो रहे है| हर राज्य अपने आप में विकास कर रहा है हर जगह कुछ सालो में बहुत विकास हो रहा है चाहे वो शिक्षा का क्षेत्र हो या कोई भी हर राज्यो में धीरे-धीरे अच्छी सुविधाएं मिल रही हैं किंतु पहाडी राज्यो में चिकित्सा की हालत एसी ही है पहले दूर दूर इलाको में सड़के नही थी और आज अस्पतालों में डॉकटर नही हैं| पहाड के अस्पतालो को रेफर सेंटर बनाया हुआ है अगर कहीं डॉकटर है भी तो वो मरीज के साथ बस प्रयोग करता|
पहाड में जहाँ देखो वहाँ अस्पतालों की हालत ऐसी ही है| हर जगह एसी स्थिती देख कर पलायन और तेजी से बढ़ रहा है पिछडे जिलों में बस अस्पताल ही है उसमें डॉकटर नही है| कई जाने इस वजह से भी जाती है कि ठीक समय में उपचार नहीं मिलपाता जिससे हालात मरीज की और बिगड़ जाती है| यहाँ उन्हें इलाज नही मिलता तो वह बडे शहरो के अस्पताल में जाते है लेकिन वहाँ उनका बस शोषण होता है उनकी मजबूरी का फायदा उठाया जाता है | और पहाड में डॉकटर आना नही चाहते क्योंकि यहाँ उन्हे रहना ही नही है| उन्हे बडे शहरो में जाकर के सबसे ज्यादा पैसा कमाना है|
आज के समय में कोई किसी की मदद न करके फायदा उठाता है | आज कहीं अगर डॉकटर है तो वहाँ से भी मरीज को रेफर किया जाता है और जहाँ नहीं है वहाँ ज्यादा परेशानियो को झेलना पडता है|
अगर सही समय पर सही सुविधा मिले तो पलायन भी धीरे धीरे कम होगा|
पहाड़ में फोटोग्राफी करना वैसे तो आसान नहीं किंतु मन को शांति जरूर पहुँचाती है| दुनिया का हर एक व्यक्ति पहाड़ (गढ़वाल) में आकर यहाँ कि सुंदरता को कुछ यादो में बटोर कर लेजाता है| उत्तराखण्ड कि धरती में न जाने अब तक कितने लोग आए और इसकी सुंदरता को अपने कैमरे में कैद कर चले गए और देश ही नहीं बल्किं में विदेश में भी यहाँ की सुंदरती रा प्रचार करते हैं|
यहाँ आने वाले सभी लोग यहाँ आकर के यहाँ की सुंदरता कि बस तारीफ ही करता है क्योकिं पहाड़ कि हर एक जगह अपने आप में एक अलग सुंदरता को दिखाता है| पहाड़ की सुंदरता दिखाने वाले सभी लोग यहाँ की संस्कृति की झलक अपनी फोटो में दिखाते है|
पर्यटन के क्षेत्र में उत्तराखण्ड़ सबसे सुदंर राज्यो में से एक है साल में लाखों यात्री, पर्यटक यहाँ की सुंदरता को निहारने आते है| यहाँ फिल्मों कि शूँटिग के लिए बहुत अच्छे अच्छे स्थल है जैसे टिहरी, बद्रीनाथ, औली, चोपता, बैनीताल, आदि|
फोटोग्राफी एवं फिल्म के क्षेत्र में उत्तराखण्ड़ राज्य अपनी अलग पहचान बना सकता है पर कुछ कारणो से राज्य हमारा इस क्षेत्र में पीछे है एेसा नहीं है कि यहाँ फिल्म नहीं शूट होती, होती है लेकिन बडे स्तर के र्निमाता यहाँ कुछ कर नहीं रहे|
उम्मीद है आने वाले कुछ सालो में यहाँ कि सुंदरता को हम बडे पर्दे में देख सकेंगे |
पहाड़ में ज्यादा सुविधा न होने के कारण इसकी मार झेल रहा है| अपनी सुंदरता का तो धनी है किंतु प्रदेश की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण प्रदेश फिल्मी जगत से दूर है पहाड़ कि गढ़वाली फिल्म बस यही तक सीमीत है आने वाले भविष्य पर सबकी नजर है अगर आने वाले समय में अच्छा कार्य होता है फिल्म जगत में उत्तराखण्ड का नाम आता है तो आने वाले यहाँ के खुशहाल भविष्य का सपना सबका पूर्ण हो जाएगा|
उत्तराखण्ड को देवभूमि कहा जाता है क्योंकि यहाँ देश के सबसे पवित्र स्थल मौजूद है| उत्तराखण्ड़ में धर्मनगरी हरिद्वार, ऋषिकेश, बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री, तुंगनाथ, रूद्रनाथ, भविष्यबद्री, आदिबद्री, इत्यादि अनेक मंदिर है जिनकी हिन्दू धर्म में अपनी मान्यता हैं|
प्रदेश में चार-धाम है, पंचबद्री, पंचकेदार और पंचप्रयाग भी है| पंचप्रयाग प्रदेश ही नही बल्किं में पूरे देश में पवित्र माना जाता है|
पंचप्रयाग में पहला प्रयाग है :-
• विष्णुप्रयाग :-
विष्णुप्रयाग चमोली जिले की जोशीमठ तहसील में स्थित है| यहाँ पर अलकनंदा और धौली गंगा नदीयों का संगम है और यहाँ से दोनो नदिया मिलकर आगे बढ़ती है| यहाँ संगम पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थित है| यह जोशीमठ-बद्रीनाथ मोटर मार्ग पर स्थित है| इसी स्थल में दायें और बायें में दो पर्वत है जिन्हें भगवान बद्रीविशाल का द्वारपाल माना जाता है स्कंदपुराण में इन पर्वत के नाम जय और विजय बताए गए हैं|
• नंद्रप्रयाग :-
नंद्रप्रयाग भी चमोली जिले की कर्णप्रयाग तहसील में आता है| यहाँ पर अलकनंदा और नंदाकिनी नदीयों का संगम है| संगम पर भगवान शिव का दिव्य मंदिर है|
• कर्णप्रयाग :-
अलकनंदा और पिण्डर नदियों का मिलन इस पवित्र स्थान में होता है| इस स्थान को कर्ण की तपस्थली भी कहा जाता है| यहीं पर महादानी कर्ण को सूर्य भगवान नें स्वर्ण के कुडंल और कवच दिए थे| कर्ण की तपस्थली होने के कारण इस स्थान का नाम कर्णप्रयाग पडा़|
• रूद्रप्रयाग :-
अलकनंदा और मंदाकिनी नदीयों के मिलन पर स्थित इस स्थान का नाम रूद्रप्रयाग हैं| यह स्थान भी बद्रीनाथ मोटर मार्ग पर स्थित है| यहीं से मार्ग केदारनाथ के लिए जाता है जो ऊखीमठ, चोपता, मंडल, गोपेश्वर होकर चमोली में बद्रीनाथ के मुख्य यात्रा मार्ग में मिल जाता है|
• देवप्रयाग :-
अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों के संगम पर देवप्रयाग स्थित है| यह पंचप्रयाग का अंतिम प्रयाग है इससे आगे नदी को गंगा के नाम से जाना जाता है| देवप्रयाग में रघुनाथ जी का मंदिर भी स्थित है जो कि यहाँ का मुख्य आकर्षण हैं|
इससे आगे गंगा नदी बहती है जो की उत्तर प्रदेश और अनेक राज्यों में बहते हुए हिन्दमहासागर में मिल जाती है| गंगा नदी को बहुत पवित्र माना जाता है बताया जाता है कि इसका पानी कभी खराब नहीं होता| कुंम्भ मेला भी गंगा नदी के तट पर लगता है| यह भी कहा जाता है कि गंगा नदी में ढुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते है |
आज के समय में पलायन बहुत अधिक मात्रा में बढ़ रहा है| पलायन उत्तराखण्ड में सबसे ज्यादा गाँवो में हो रहा है| दिन प्रतिदिन गाँवो की आबादी कम और शहरो की आबादी ज्यादा हो रही है| सरकार हर संभव प्रयास कर रही है पलायन रोकने के लिए किंतु बेरोजगारी और उनकी आर्थिक स्थिति उन्हे मजबुर करती है गाँव को छोड़ने के लिए| पलायन से हो रही परेशानी सरकार के लिए धीरे धीरे सरदर्द बन रही है क्योंकि नौकरी हर एक आदमी को देना संभव तो नहीं और रोजगार सबको चाहिए| सरकार ने हर संभव कार्य किए पर ज्यादा असर नहीं दिखाय| देखा जाए तो आज ग्रामीण क्षेत्र में सरकार द्वारा सड़क, पानी, बिजली सब दिया गया है पर लोगो को रोजगार की ज्यादा आवश्यकता है जो उन्हे सरकार नही दिला पा रही|
पलायन एक चिंता का विषय भी है क्योकि अगर कोई गाँव में कोई खेती नहीं करेगा तो अनाज कैसे होगा| अब हर एक आदमी शहर की तरफ भाग रहा है पर रोजगार अगर शहर आके भी न मिले तो अपना घर छोड़ किराये के घर आने का क्या फायदा| पलायन लोग इसलिए भी कर रहे है क्योकिं अब सब अब अपने बच्चो को पढा़ना चाहते है और ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयो की हालत बहुत बत्तर हो गई है और गाँव से दूर विद्यालय है तो वो आदमी मजबूर हो जाता है अपना घर छोड़ने के लिए| पलायन पहाड का दर्द बना हुआ है आज गाँव सारे खाली हू़ुए पडे़ है और सब अपना घर सारी जायदात छोड के जा रहे है|
बताया जाता है कि सबसे ज्यादा पलायन अब तक पौडी़ जिले से हुआ है| पौडी़ जो की क्षेत्रफल की द्रीष्टी से सबसे बडा़ जिला है वहाँ से पलायन होना बहुत खेद की बात है| आज पलायन की समस्या इतनी बड़ गई है कि गाँव में अभी लोग नही बचे है सिर्फ उनके पूर्वजो की धरोधर बची है पर अब वो धरोधर भी धीरे धीरे विलुप्त हो रही है| लोगो का शहरो की तरफ जाना धीरे धीरे पहाडी इलाके को पिछडा कर रहा है| कृषि भी अब लोग छोड़ रहे है वैसे अगर लोगो को रोजगार चाहिए तो स्वरोजगार भी वह शुरू कर सकते है अगर काम करने के लिए हिम्मत मेहनत और परिश्रम हो तो आदमी कुछ भी कर सकता है हर काम सरकार थोडी़ न करेगी कुछ काम खुद की मेहनत से भी हो सकता है| शहरो में जाके धक्के खाने से बढिया है कि अपने गाँव में खेती करे अनाज उगाये और अपने गाँव में रह कर ही अपना रोजगार खुदसे शुरू करे तो पहाड में भी जीवन आसान होगा|
अंत में बस यही कहूँगा की
"पलायन हटाओ
स्वरोजगार अपनाओ".
रूद्रनाथ एक एेसी जगह है जहाँ पहुँच कर एेसा लगता है कि मानो स्वर्ग में पहुँच गए हों.... रूद्रनाथ मंदिर तृतीया केदार में आता है 18 किमीं ...