आज के समय में पलायन बहुत अधिक मात्रा में बढ़ रहा है| पलायन उत्तराखण्ड में सबसे ज्यादा गाँवो में हो रहा है| दिन प्रतिदिन गाँवो की आबादी कम और शहरो की आबादी ज्यादा हो रही है| सरकार हर संभव प्रयास कर रही है पलायन रोकने के लिए किंतु बेरोजगारी और उनकी आर्थिक स्थिति उन्हे मजबुर करती है गाँव को छोड़ने के लिए| पलायन से हो रही परेशानी सरकार के लिए धीरे धीरे सरदर्द बन रही है क्योंकि नौकरी हर एक आदमी को देना संभव तो नहीं और रोजगार सबको चाहिए| सरकार ने हर संभव कार्य किए पर ज्यादा असर नहीं दिखाय| देखा जाए तो आज ग्रामीण क्षेत्र में सरकार द्वारा सड़क, पानी, बिजली सब दिया गया है पर लोगो को रोजगार की ज्यादा आवश्यकता है जो उन्हे सरकार नही दिला पा रही|
पलायन एक चिंता का विषय भी है क्योकि अगर कोई गाँव में कोई खेती नहीं करेगा तो अनाज कैसे होगा| अब हर एक आदमी शहर की तरफ भाग रहा है पर रोजगार अगर शहर आके भी न मिले तो अपना घर छोड़ किराये के घर आने का क्या फायदा| पलायन लोग इसलिए भी कर रहे है क्योकिं अब सब अब अपने बच्चो को पढा़ना चाहते है और ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयो की हालत बहुत बत्तर हो गई है और गाँव से दूर विद्यालय है तो वो आदमी मजबूर हो जाता है अपना घर छोड़ने के लिए| पलायन पहाड का दर्द बना हुआ है आज गाँव सारे खाली हू़ुए पडे़ है और सब अपना घर सारी जायदात छोड के जा रहे है|
बताया जाता है कि सबसे ज्यादा पलायन अब तक पौडी़ जिले से हुआ है| पौडी़ जो की क्षेत्रफल की द्रीष्टी से सबसे बडा़ जिला है वहाँ से पलायन होना बहुत खेद की बात है| आज पलायन की समस्या इतनी बड़ गई है कि गाँव में अभी लोग नही बचे है सिर्फ उनके पूर्वजो की धरोधर बची है पर अब वो धरोधर भी धीरे धीरे विलुप्त हो रही है| लोगो का शहरो की तरफ जाना धीरे धीरे पहाडी इलाके को पिछडा कर रहा है| कृषि भी अब लोग छोड़ रहे है वैसे अगर लोगो को रोजगार चाहिए तो स्वरोजगार भी वह शुरू कर सकते है अगर काम करने के लिए हिम्मत मेहनत और परिश्रम हो तो आदमी कुछ भी कर सकता है हर काम सरकार थोडी़ न करेगी कुछ काम खुद की मेहनत से भी हो सकता है| शहरो में जाके धक्के खाने से बढिया है कि अपने गाँव में खेती करे अनाज उगाये और अपने गाँव में रह कर ही अपना रोजगार खुदसे शुरू करे तो पहाड में भी जीवन आसान होगा|
अंत में बस यही कहूँगा की
"पलायन हटाओ
स्वरोजगार अपनाओ".
Badiya h mere byai
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