Thursday, 15 March 2018

उत्तराखण्ड के पंचप्रयाग

उत्तराखण्ड को देवभूमि कहा जाता है क्योंकि यहाँ देश के सबसे पवित्र स्थल मौजूद है| उत्तराखण्ड़ में धर्मनगरी हरिद्वार, ऋषिकेश, बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री, तुंगनाथ, रूद्रनाथ, भविष्यबद्री, आदिबद्री, इत्यादि अनेक मंदिर है जिनकी हिन्दू धर्म में अपनी मान्यता हैं|

प्रदेश में चार-धाम है, पंचबद्री, पंचकेदार और पंचप्रयाग भी है| पंचप्रयाग प्रदेश ही नही बल्किं में पूरे देश में पवित्र माना जाता है|
पंचप्रयाग में पहला प्रयाग है :-

• विष्णुप्रयाग :-
                     विष्णुप्रयाग चमोली जिले की जोशीमठ तहसील में स्थित है| यहाँ पर अलकनंदा और धौली गंगा नदीयों का संगम है और यहाँ से दोनो नदिया मिलकर आगे बढ़ती है| यहाँ संगम पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थित है| यह जोशीमठ-बद्रीनाथ मोटर मार्ग पर स्थित है| इसी स्थल में दायें और बायें में दो पर्वत है जिन्हें भगवान बद्रीविशाल का द्वारपाल माना जाता है स्कंदपुराण में इन पर्वत के नाम जय और विजय बताए गए हैं|

नंद्रप्रयाग :-
                   नंद्रप्रयाग भी चमोली जिले की कर्णप्रयाग तहसील में आता है| यहाँ पर अलकनंदा और नंदाकिनी नदीयों का संगम है| संगम पर भगवान शिव का दिव्य मंदिर है|

• कर्णप्रयाग :- 
                  अलकनंदा और पिण्डर नदियों का मिलन इस पवित्र स्थान में होता है| इस स्थान को कर्ण की तपस्थली भी कहा जाता है| यहीं पर महादानी कर्ण को सूर्य भगवान नें स्वर्ण के कुडंल और कवच दिए थे| कर्ण की तपस्थली होने के कारण इस स्थान का नाम कर्णप्रयाग पडा़|

• रूद्रप्रयाग :-
                 अलकनंदा और मंदाकिनी नदीयों के मिलन पर स्थित इस स्थान का नाम रूद्रप्रयाग हैं| यह स्थान भी बद्रीनाथ मोटर मार्ग पर स्थित है| यहीं से मार्ग केदारनाथ के लिए जाता है जो ऊखीमठ, चोपता, मंडल, गोपेश्वर होकर चमोली में बद्रीनाथ के मुख्य यात्रा मार्ग में मिल जाता है|

• देवप्रयाग :-
                 अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों के संगम पर देवप्रयाग स्थित है| यह पंचप्रयाग का अंतिम प्रयाग है इससे आगे नदी को गंगा के नाम से जाना जाता है| देवप्रयाग में रघुनाथ जी का मंदिर भी स्थित है जो कि यहाँ का मुख्य आकर्षण हैं|

              इससे आगे गंगा नदी बहती है जो की उत्तर प्रदेश और अनेक राज्यों में बहते हुए हिन्दमहासागर में मिल जाती है| गंगा नदी को बहुत पवित्र माना जाता है बताया जाता है कि इसका पानी कभी खराब नहीं होता| कुंम्भ मेला भी गंगा नदी के तट पर लगता है| यह भी कहा जाता है कि गंगा नदी में ढुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते है |

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Uttarakhand

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